बुधवार 21 अक्टूबर, 2020 | जैसा कि आप जानते हैं आदिवासी समुदाय (Tribal Community) प्रकृति को मानते है, प्रकृति में विश्वास रखते हैं और प्रकृति का रक्षा करते हैं। जल, जमीन और जंगल को बचने पर जोर देते हैं क्योंकि जीवों का अस्तित्व जल, जमीन और जंगल पर ही निर्भर हैं। इन तीनो को बचाने से ही जीवो की रक्षा हो सकती हैं। आदिवासी समुदाय आदिवासियत के सिद्धांत पर चलते हैं जो चाहते है संपूर्ण सृष्टि का कल्याण हो। इसलिए आदिवासी समुदाय जय जोहार बोलते हैं। [जय जोहार का क्या अर्थ होता हैं? पूरी जानकारी पढ़े] आदिवासी समुदाय अनुशासन के मामले में पूरी तरह तटस्थ और नेतृत्व कौशल में धनी होते हैं। अपनी अनुशासन और नेतृत्व कौशल को दिखाते हुए 20 अक्टूबर 2020 को ऐसा कार्य किये हैं जो पूरी दुनिया के लिए उदाहरण बन गया हैं। आगे पूरी आर्टिकल पढ़े-

कोरोना वायरस Coronavirus (CoVid-19) जैसे खतरनाक वायरस के कारण भारत में लॉकडाउन था। आज भले ही अनलॉकडाउन की प्रक्रिया शुरू हो चुका हैं लेकिन संक्रमण की खतरा में कोई कमी नही आई हैं। इसलिए सरकार के स्पष्ट गाइड लाइन हैं – घर से बाहर निकलते वक्त मास्क लगाए, दो गज की दूरी बना कर सोशल डिस्टेंस का पालन करे, ऐसी जगह पर जाने से बचें जहां भीड़-भाड़ हो, अपने चेहरे को बार-बार न छुएं इत्यादि।
कोरोना काल मे ही चुनावी रैलियां भी चालू हैं। बिहार, मध्यप्रदेश समेत सभी चुनावी राज्यों में कोविड-19 गाइडलाइंस की परवाह किये बिना रैलियां हो रही हैं। इन नेताओं को नसीहत देते हुए बुधवार 21 अक्टूबर 2020 को मीडिया में मंगलवार 20 अक्टूबर 2020 को झारखंड के आदिवासी संगठनों ने अपनी कई मांगों को लेकर जगह – जगह रैलियां भी निकाली, उस रैलियों का एक खबर छपी हैं जिसका कुछ अंश इस प्रकार हैं –
“नेताजी इनसे सीखिए ! रांची में 20 हजार आदिवासी सड़क पर उतरे, सभी मास्क में थे, दो गज की दूरी भी दिखी ; न रोड जाम हुआ और न हंगामा।”
“रांची बिहार, मध्यप्रदेश समेत सभी चुनावी राज्यों में कोविड गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ाकर धड़ाधड़ रैलियां कर रहे नेताओं को इन आदिवासियों से सीख लेनी चाहिए। झारखंड के आदिवासी संगठनों ने मंगलवार को अपनी कई मांगों को लेकर जगह – जगह रैलियां निकाली। राजधानी रांची में 20 हजार लोग सड़कों पर उतरे, लेकिन पूरे अनुशासन के साथ। सबके चेहरों पर मास्क थे। लोग दो गज की दूरी बनाकर आगे बढ़ रहे थे। रैली संयमित और कतारबद्ध थी। ऐसी ही रैलियां जगह – जगह हुई . लेकिन कहीं से भी रोड जाम या हंगामे की खबरें नहीं आई।”
पहले भी लॉकडाउन के समय कोरोना से बचाव और लॉकडाउन के गाइडलाइन के पालन करते हुए आदिवासियों का कुछ तस्वीर इस प्रकार आ चुका हैं।
प्राकृतिक संसाधनों से खुद से शिल्पकारी किया गया शुद्ध और गुणवत्तापूर्ण मास्क पहने हुए और सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए भारतीय आदिवासी।