हिंदी कविता
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वो शिल्पकार लोहार है – गंगा शाह आशु कवि
वो शिल्पकार लोहार है - गंगा शाह आशु कवि
सामने विस्तृत हिमालय पड़ा अपार है,वो शिल्पकार लोहार है,वो शिल्पकार लोहार है॥
एक घास की झोपड़ी केनीचे...
यदि बाबा साहब न होते
यदि बाबा साहब न होते | Yadi Baba Sahab Na Hote - गंगा शाह आशु कवि
यदि बाबासाहेब न होतेपिस रहे होते मनुवादीव्यवस्था की चक्की...
उसे मालूम नही – गंगा शाह आशुकवि
उसे मालूम नही - गंगा शाह आशुकवि | Use Malum Nahi By Ganga Shah Aashukavi
हथोड़ा चलाते चलातेउसकी नाज़ुक कलाइयाँकब मजबूत हुईगरम भट्टी की ताप...
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