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जातीय जनगणना क्या है? जातीय जनगणना क्यों जरूरी है?

हेल्लो दोस्तो, क्या आप जानना चाहते हैं कि “जातीय जनगणना क्या है? Jatiy Janaganana Kya Hai in Hindi? जातीय जनगणना क्यों जरूरी है? Jatiy Janaganana Kyo Jaruri Hai In Hindi? तो इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े।

जैसा कि आप जानते है कि भारत में 2021 की जनगणना होने ही वाला है। कई राजनीतिक दलों के द्वारा जातीय जनगणना (caste census) कराने की मांग वर्षो से हो रही है। 2018 में वर्तमान नरेंद्र मोदी जी के सरकार ने घोषणा की थी कि आगामी जनगणना में वह पिछड़ी जातियों की गणना कराएगी। लेकिन जातीय जनगणना के संबंध में सरकार से लोकसभा में 20 जुलाई 2021 को पूछे गए प्रश्न में सरकार के तरफ से केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय (Union Minister of State for Home Nityanand Rai) ने जवाब दिया कि फ़िलहाल केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति (Scheduled Castes) और अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes) के अलावा किसी और जाति की गिनती का कोई आदेश नहीं दिया है। उसके बाद से न्यूज़ मीडिया, सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा चर्चित विषय जातीय जनगणना को लेकर है। जातीय जनगणना को लेकर कही डिबेट हो रहा है, तो कही आंदोलन हो रहा है। वर्तमान समय में हर पुब्लिक प्लेटफार्म पर टॉप ट्रेंडिंग टॉपिक जातीय जनगणना (caste census) है।

जनगणना किसे कहते हैं? जनगणना क्यों महत्वपूर्ण है? आशा है आप पिछले आर्टिकल में पढ़ ही चुके होंगे। अगर नही पढ़े है तो इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद नीचे आपको लिंक मिल जाएगा उस पर क्लिक कर जरूर पढ़ लीजिये। आगे पढ़िए – जातीय जनगणना क्या है? What is caste census in hindi जातीय जनगणना क्यों जरूरी है? Why is caste census necessary in hindi?

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जातीय जनगणना क्या है?

Jatiy Janaganana Kya Hai in Hindi? जनगणना में किसी व्यक्ति की जाति से संबंधित सूचना का समावेश होना जातीय जनगणना कहलाता है। जातीय जनगणना के इतिहास क्या है? 140 वर्ष पहले 1881 में भारत में पहली जनगणना (Janaganana) हुई थी। भारत में आखिरी बार जातिय जनगणना (caste census) 1931 में हुई है। 1941 में जातीय जनगणना (caste census) हुई थी लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध (second World War) छिड़ जाने के कारण आंकड़ों को संकलित नहीं किया जा सका था। 2011 की जनगणना में भी जाति की जानकारी ली गई थी लेकिन अपरिहार्य कारणों का हवाला देकर रिपोर्ट जारी नहीं की गई और कहा जाता है कि करीब 34 करोड़ लोगों के बारे में जानकारी गलत है।

जातीय जनगणना क्यों जरूरी है?

Jatiy Janaganana Kyo Jaruri Hai? भारत में जातियों आखिरी जातीय जनगणना (Caste Census) 1931 के आधार पर है जो 90 साल पुराना है। नौ दसक में काफी कुछ बदल हुआ होगा। किसी जाति में अधिक बच्चों का जन्म हुआ होगा तो, किसी मे कम। 90 साल से देश को पता नहीं है कि किस जाति के कितने लोग हैं। जातिगत जनगणना से यह पता चलेगा कि कौन जाति अभी भी पिछड़ेपन का शिकार है, ताकि उनकी संख्या के अनुरूप उन्हें आरक्षण का लाभ देकर उनकी स्थिति मजबूत की जा सके। इसलिए जातीय जनगणना का सवाल और आवाज उठता रहा है।

जातीय जनगणना पर विभिन्न राजनीतिक दलों का बयान और पक्ष क्या है?

23 अगस्त 2021 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित 10 दलों के नेताओ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी (Prime Minister Narendra Modi) से मुलाकात कर जनगणना 2021 को जातिय आधारित के पक्ष में अपनी बात रखा। जातीय जनगणना पर बिहार के नेता का राय एक हैं।

जातिय जनगणना पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar Chief Minister Nitish Kumar) का मीडिया में एक बयान है – “पूरे देश में जाति आधारित जनगणना (caste based census) हुई तो बहुत लाभदायक होगा. सभी राज्य के लोगों की इच्छा है कि जाति आधारित जनगणना (caste based census) एक बार तो जरूर होनी चाहिए। ताकि पता चल जाए कि किसकी कितनी आबादी है. ये हो जाने पर सभी के लिए बेहतर तरीके से काम होगा।” नीतीश कुमार ने सबसे पहले 1990 में जाति आधारित जनगणना (Caste Based Census) कराने की मांग की थी।

बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव का जातीय जनगणना पर मीडिया में एक ब्याज है – “जब जानवरों व पेड़-पौधों की गिनती होती है, तब इंसानों की क्‍यों नहीं होनी चाहिए? सरकार के पास जातिगत समाज का आंकड़ा (caste society data) नहीं होगा तो सरकार कल्‍याणकारी योजनाएं (government welfare schemes) कैसे बना सकेगी?”

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू यादव ने जातिय जनगणना (caste census) पर 11 अगस्त 2021 को एक ट्वीट है – “अगर 2021 जनगणना में जातियों की गणना नहीं होगी तो बिहार के अलावा देश के सभी पिछड़े-अतिपिछड़ों के साथ दलित और अल्पसंख्यक भी गणना का बहिष्कार कर सकते है। जनगणना के जिन आँकड़ों से देश की बहुसंख्यक आबादी का भला नहीं होता हो तो फिर जानवरों की गणना वाले आँकड़ों का क्या हम अचार डालेंगे?” आगे उन्होंने 10 सितंबर 2021 को भी एक ट्वीट है – “जातीय जनगणना कोई राजनैतिक मुद्दा नहीं बल्कि राष्ट्र-निर्माण की अति जरूरी पहल है।सामाजिक न्याय व बंधुता का प्रश्न मनुष्यता का प्रश्न है और जातिवार जनगणना के हासिल को उसी की एक कड़ी के रूप में देखा जाना चाहिए।”

जनता दल यूनाइटेड JD(U) की तरह रास्ट्रीय जनता दल (RJD) भी यह मानती है कि “जातिगत जनगणना से यह पता चलेगा कि कौन जाति अभी भी पिछड़ेपन का शिकार है, ताकि उनकी संख्या के अनुरूप उन्हें आरक्षण का लाभ देकर उनकी स्थिति मजबूत की जा सके।

भीम आर्मी चीफ और आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्र शेख आजाद (Chandra Shekhar Aazad) का मंगा हैं – “जातिगत जनगणना हो व जनंसख्या अनुपात में उन्हें हिस्सेदारी मिले

2019 के फरवरी महीना में बिहार विधानमंडल (Bihar Legislature) और 2020 में बिहार विधान सभा (Bihar Legislative Assembly) में जातीय जनगणना (Caste Census)  कराने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास होने के बाद दो बार इसे केंद्र सरकार (central government) को भेजा जा चुका है।

महाराष्ट्र की विधानसभा (Maharashtra Legislative Assembly) में 8 जनवरी को जातीय जनगणना मांग का प्रस्ताव पारित हो चुका है।

भारतीय जनता पार्टी (BJP) राष्ट्रीय सचिव पंकजा मुंडे (Pankaja Munde) ऐसी मांग कर चुकी हैं।

केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले (Ramdas Athawale) जाति गणना की मांग कर चुके हैं।

अपना दल (Apna Dal) की नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल Anupriya Patel – Former Union Minister for Health & Family Welfare) भी जातीय जनगणना की मांग कर चुकी हैं।

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद संघमित्रा मौर्या (Sanghmitra Maurya) ने OBC Bill पर बहस के दौरान भी जातिगत जनगणना की मागं कर चुकी हैं।

उत्तर प्रदेश में भी समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) हो या Bahujan Samaj Party, जातियों का सही-सही आंकड़ा सामने लाने की मांग के समर्थन में इनका भी जोर है।

FAQ:-

जातीय जनगणना क्यों?

जातीय जनगणना से नीति निर्माताओं को यह समझने में सहायता मिलती है कि नीतियों को कैसे तय किया जाए ताकि लाभ बेहतर और समान रूप से बांटा जाए और यही वजह है कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (National Commission for Backward Classes) जो कि एक संवैधानिक निकाय है, ने जाति आधारित जनगणना की सिफारिश की है।

जातीय जनगणना से क्या लाभ है?

जातीय जनगणना से आंकड़ा पता चलने से पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ देकर उन्हें सशक्त बनाया जा सकता है। इसके अलावा यह भी तर्क दिया जाता है कि जातीय जनगणना से किसी भी जाति की आर्थिक, सामाजिक और शिक्षा की वास्तविक का पता चल पाएगा। इससे उन जातियों के लिए विकास की योजनाएं बनाने में आसानी होगी।

पहली बार जाति आधारित जनगणना कब हुई?

भारत में पहली बार जाति आधारित जनगणना 1931 हुई और यही आखरी जाति आधारित जनगणना है।

दोस्तो, आशा है इस आर्टिकल में दी गई जानकारी – जातीय जनगणना क्या है? Jatiy Janaganana Kya Hai in Hindi? जातीय जनगणना क्यों जरूरी है? Jatiy Janaganana Kyo Jaruri Hai In Hindi? और जातीय जनगणना पर विभिन्न राजनीतिक दलों का बयान और पक्ष क्या है? आपको पसंद आया हो, तो सोशल मीडिया पर शेयर करे और नीचे कमेंट कर अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे। धन्यवाद

Satish
Satish
सतीश कुमार शर्मा ApnaLohara.Com नेटवर्क के संस्थापक और एडिटर-इन-चीफ हैं। वह एक आदिवासी, भारतीय लोहार, लेखक, ब्लॉगर और सामाजिक कार्यकर्ता हैं।
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