उत्तर प्रदेश | प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल के कालक्रम में भारत सहित संपूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था के प्राण और विश्वकल्याणक शिल्पकार (Artisan) समूह को बहुआयामी भूमिका का निर्वाह करने वाले के रूप में देखा जाता है। जिसने हजारों वर्ष पूर्व सामाजिक आवश्यकताओं और अपेक्षाओं की पूर्ति का सरल और व्यावहारिक समाधान खोजा, जिससे कि लोगों के जीवन को सुधारा जा सका। जो समाज के समस्याएं हल करने वाले के रूप में भी कई भूमिकाएं निभाता है। वही समूह वर्तमान समय में खुद की समस्याओं में उलझ कर रह गया है। ऊपरी मंजिल तक पायदान बनाने वाला आज सबसे निचले पायदान पर खड़ा है। उत्तर प्रदेश में निवास करने वाला शिल्पकार समूह के कुल 26 उपजातियों (Sub castes) जैसे- लोहार, कुम्हार, बढ़ई, सुनार, कसेरा इत्यादि अनुसूचित जाति (SC – Scheduled Castes) के प्रमाण पत्र (Certificate) के अभाव में सुविधाओं से वंचित है कारण कि धोखे से उन्हें ओबीसी (OBC – Other Backward Classes) सूची में भी डाल दिया गया है। जिससे उन्हें अनुसूची जाति (अ.ज.) के प्रमाण पत्र एवं अन्य सुविधा लेने में अत्यंत विवादित स्थिति का सामना करना पड़ता है। ऐसा सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि बिहार, झारखंड और ओड़िशा इत्यादि जैसे देश के कई राज्यों की समस्याएं हैं।

पूरा मामला क्या है?राष्ट्रीय शिल्पकार महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो० (डॉ) विक्रमदेव “शिल्पाचार्य’ से प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के शासनादेश सं.1442/XXVI-818-1957 दिनांक- मई 22, 1957 के मुखपृष्ठ पर संपूर्ण उत्तर प्रदेश में निवास करने वाला अनुसूचित जातियों की सूची में क्रम संख्या 63 पर शिल्पकार (Shilpkar) है और उपयुक्त शासनादेश के दूसरे पेज पर परिशिष्ट (Appendix)-A “4” के नीचे स्पष्ट उल्लेख है कि शिल्पकार (Shilpkar) समूह में कुल 26 जातियां जैसे- लोहार, बढ़ई, कुम्हार, सोनार, कसेरा, इत्यादि सम्मिलित है। जिसे धोखे से अन्य पिछड़ी जातियों (OBC – Other Backward Classes) के सूची में भी डाल दिया गया है। जिससे उन्हें अनुसूचित जाति (SC – Scheduled Castes) के प्रमाण पत्र (Certificate) एवं मान्य सुविधाये लेने में अत्यंत विवादित स्थिति का सामना करना पड़ता है।
प्रदेश अध्यक्ष श्दशरथ शर्मा से मिली जानकारी के अनुसार इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए अगस्त 31, 2018 को माननीय उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य जी को व्यक्तिगत लखनऊ में हस्तगत और सितम्बर 11, 2018 को पंजीकृत डाक से प्रेषित किया जा चुका है। संबंधित समस्या/विवाद के त्वरित वैधानिक समाधान हेतु कई अन्य पदाधिकारियों को भी साधारण एवं पंजीकृत डाक द्वारा अनेकों बार तथा माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय प्रधानमंत्री जी, माननीय राजपाल जी, माननीय राष्ट्रपति जी सहित कई मंत्रियों, विधायकों एवं सांसदों को एक दशक से राष्ट्रीय शिल्पकार महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उनके सहयोगियों एवं अन्य लोगों द्वारा लगातार प्रेषित किया जा रहा है। लेकिन मामला यथावत लंबित है। इस बीच कई बार सरकार बदली लेकिन शासन एवं प्रशासन इस प्रकरण पर मौन साधे हुए हैं।
यहाँ तक इस मामला को लेकर दो बार सत्याग्रह भी किया जा चुका है। पहली सत्याग्रह- 02-06 अक्टूबर, 2018 तक प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित इको गार्डन में 5 दिवसीय गांधीवादी सत्याग्रह का कार्यक्रम किया गया था। दूसरी सत्याग्रह- 07 दिसंबर से 09 दिसंबर 2018 तक उत्तर प्रदेश की शास्त्री घाट वाराणसी में तीन दिवसीय गांधीवादी सत्याग्रह का कार्यक्रम किया गया था। फिर भी अभी तक इस विवादित समस्या का समुचित समाधान नहीं हो सका।
सत्याग्रहियों द्वारा प्रस्तुत मांगे:-
- शासनादेश सं.1442/XXVI-818-1957 दिनांक- मई 22, 1957 के मुखपृष्ठ पर संपूर्ण उत्तर प्रदेश में निवास करने वाला अनुसूचित जातियों की सूची में क्रम संख्या 63 पर शिल्पकार है और उपयुक्त शासनादेश के दूसरे पेज पर परिशिष्ट (Appendix)-A “4” के नीचे शिल्पकार के तहत वर्णित उपजातियां जैसे- लोहार, बढ़ई, कुम्हार, सोनार, कसेरा, इत्यादि का उल्लेख नवीनतम शासनादेश में हो।
- अनुसूचित वर्ग की शिल्पकार जाति की उपजातियां जैसे- लोहार, बढ़ई, सोनार, कुम्हार, कसेरा, आदि को अन्य पिछड़े वर्ग ( ओबीसी) की सूची से विलोपित करते हुए अनुसूचित जाति के नवीनतम शासनादेश में शिल्पकार समूह की उपर्युक्त उपजातियों का स्पष्ट उल्लेख किया जाए।
- सात दशक से उपेक्षित शिल्पकार छात्र-छात्राओं के रोजगार हेतु जातीय रोस्टर सूची जारी हो।
- आरक्षित सीट का दुरुपयोग करने वाले नौकरशाह को शीघ्र दंडित करने का कानून बनाया जाए।
- अनारक्षित वर्ग का स्पष्ट सूची जारी किया जाए।
आगे प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा का कहना है- सरकार उपरोक्त समस्या पर समाधान शीघ्र करें ताकि तहसील या अन्य कोई अधिकारी उपरोक्त शिल्पकार को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी करने या अनुमनन विधिक सुविधायें प्रदान करने में किसी प्रकार भी बहाने बाजी ना कर सके और किसी भी प्रकार के विवादित स्थिति का सामना नही करना पड़े है। अगर सरकार हमारी मांगे पूरी नही करती है तो हमारा सत्याग्रह आगे भी जारी रहेगा।
सत्याग्रह में रा०शि०म० के राष्टीय महासचिव रामा शंकर शर्मा (रोहतास, बिहार), डॉ० भैया लाल विश्वकर्मा (वाराणसी), राजेश विश्वकर्मा, अखिलेश विश्वकर्मा (बलियॉ), डॉ ओम प्रकाश विश्वकर्मा (देवरियॉ), केशव शर्मा (जिलाध्यक्ष लोहार विकास मंच, सासाराम,रोहतास, बिहार), रघुवर विश्वकर्मा (वाराणसी), बाबूलाल विश्वकर्मा, रविकान्त विश्वकर्मा, रामेश शर्मा, मनोज विश्वकर्मा, भूपेश विश्वकर्मा (वाराणसी), श्रीनाथ विश्वकर्मा रिटा०इंजिनियर (सोनभद्र), राम विलास विश्वकर्मा (देवरियॉ), भक्त दर्शन विश्वकरमा (वाराणसी), रघुवर विश्वकर्मा (वाराणसी), सुरेश विश्वकर्मा (लखनऊ), बंटी शर्मा (आरा, बिहार), हरिचन्द्र विश्वकर्मा (लखनऊ), विरेन्द्र शर्मा (मन्टु शर्मा), वुध्द लाल शर्मा, मनोज शर्मा, कृष्ण गोपाल शर्मा, अखिलेश शर्मा (बलियॉ), अरविन्द शर्मा सुरेश विश्वकर्मा इत्यादि सहित प्रदेश के शिल्पकार समूह के कई अन्य लोग के साथ अन्य राज्यो के भी शिल्पकार समूह से शामिल रहें।
— सतीश कुमार शर्मा