मोतिहारी (बिहार) | एक साधारण और अभावग्रस्त परिवार में जन्मी, पली-बड़ी और छह बहनों में सबसे छोटी चन्दा कुमारी ने अपने अथक परिश्रम और लगन के बल पर उत्कृष्ट और जबरदस्त उत्तीर्णता हासिल कर अपने प्रतिभा का परचम लहराया है। एक वक्त था कि पढ़ाई-लिखाई से दूर भागने वाली लड़की आज बिहार मैट्रिक बोर्ड की परीक्षा में 86% अंक के साथ प्रथम श्रेणी में सफलता प्राप्त कर सिर्फ अपने माता-पिता का ही नही बल्कि पूरे समाज का नाम रौशन कि हैं। आस पास की लडकिया ले रही है प्रेरणा। आगे IAS बनकर देश और समाज की सेवा करना कहती हैं। आखिर यह चन्दा कुमारी हैं कौन? यह कहा के रहने वाली हैं? क्या हैं इसके सफलता के राज? आगे इस आर्टिकल में सभी जानकारी पढ़े…..

आपकी सफलता की कहानी – किसी की प्रेरणा स्रोत बन सकती हैं ऑनलाइन इंटरव्यू में apnalohara.com वेबसाइट को चन्दा के द्वारा अपने और अपने परिवार के बारे दी गई जानकारी के अनुसार: चन्दा कुमारी पूर्वी चंपारण जिला के खरतरी गांव के निवासी हैं। उनके पिता – श्री मोहन ठाकुर मोटर मकैनिक और माता जी कुशल गृहिणी हैं और शिवम शर्मा 11 वर्ष का एक सबसे छोटा भाई हैं। चन्दा बिहार मैट्रिक बोर्ड की परीक्षा में 430 अंक (86%) के साथ प्रथम श्रेणी में सफलता प्राप्त की हैं जिससे पूरे परिवार में खुशी का माहौल बना हैं।
आगे चन्दा लिखती हैं, “कक्षा पांचवी तक पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नहीं देती थी क्योंकि पढ़ाई लिखाई में मन नही लगता था। पढ़ाई के नाम पर सिर्फ फॉरमैलिटी निभाती थी। जिसके वजह से काफी पढ़ाई में कमजोर थी। लेकिन जब मैंने पांचवी कक्षा में श्री धर्मराज सर से पढ़ना शुरू किया तो उन्होंने हमें बहुत समझाया कि हमें मन लगाकर पढ़ना चाहिए क्योंकि इंसान की सूरत नहीं बल्कि उसकी सीरत देखी जाती हैं। उसके बाद आगे की पढ़ाई श्री चन्दन शर्मा व संतोष सर से की। वे लोग अक्सर कक्षा में कहते थे कि अंक पर ध्यान मत दो केवल परिश्रम करो। साधारण नॉलेज वाले छात्र भी कभी-कभी ज्यादा नंबर प्राप्त कर लेते हैं। जबकि तेज विद्यार्थी थोड़े अंकों से चुक भी जाते हैं। लेकिन उनका पढ़ाई का स्तर इस परीक्षा परिणाम से निर्धारित नहीं होना चाहिए। असल रिजल्ट तो विषय वस्तु की पकड़ से तय होनी चाहिए। यह बातें हमें रिजल्ट में कम या ज्यादा अंक मिले इसकी चिंता से निजात दिला दिया। फिर मैंने रिजल्ट के लिए नहीं बल्कि अपने नॉलेज के लिए पढ़ना शुरू किया और परिणाम भी अच्छा रहा। इस वर्ष के मैट्रिक बोर्ड की परीक्षा में मुझे 430 (यानी 86%) अंक प्राप्त हुए।”
आप कैसे और कितना समय पढ़ाई करते थी?
➨मैं दिन में 10 से 12 घंटे रोज़ाना पढ़ा करती थी। सुबह और रात में याद करना तथा दिन के समय में गणित बनाना मेरा रूटीन होता था। हर विषय पर योजना बनाकर पढ़ना मुझे अच्छा लगता है।
क्या आपका कभी कोई कमजोरी रहा हैं जिससे पढ़ाई में बाधा पहुंचा हो? यदि हाँ तो उसे कैसे दूर किया?
➨ हाँ, हमारे साथ अक्सर ऐसा होता था कि आगे कुछ पढ़ती थी तो पहले का पढ़ा हुआ भूल जाती थी। यह तो मेरे सामने बड़ी समस्या बनकर खड़ी हुई। परंतु Sharma Arts Classes के डायरेक्टर और मेरे प्रिय शिक्षक श्री चन्दन शर्मा सर का सही मार्गदर्शन ने भूलने की बुरी आदत से निजात दिलाया और किसी भी चीज को सही कांसेप्ट और ट्रिक के माध्यम से कैसे याद रखा जाए जो कभी नहीं भूले, वैसी आदत विकसित की। मैं उन सभी शिक्षकों को धन्यवाद देने के साथ हाथ जोड़कर प्रणाम करती हूँ, जिन्होंने अपने तप और संयम से मुझे इस प्रकार सींचा कि आज मैं इंटरव्यू देने के काबिल बन सकी हूं।
आपके सफलता में आपके माता-पिता/परिवार वाले का किस तरह से सहयोग मिला?
➨ पढ़ाई के लिए मेरे माता-पिता का सबसे बड़ा योगदान है क्योंकि उन्होंने हमें कभी एहसास नहीं होने दिया कि मैं लड़की हूँ। मुझ पर कोई भी पाबंदी नहीं लगाई गई वे कहते थे- “बेटी तुम केवल परिश्रम करो, परिणाम जो आएगा तुम्हारे लिए अच्छा होगा।” जैसा करोगे वैसा ही फल पाओगे। ऐसी तैयारी करो और ऐसा काम करो कि कामयाबी के पीछे तुम नहीं बल्कि कामयाबी तुम्हारे पीछे दौड़े। इनके साथ साथ मेरे तमाम शिक्षकों का भी अमूल्य योगदान रहा जिन्होंने मुझे सही मार्गदर्शन और हौसला दिया। मैं अपने सहपाठियों को भी शुक्रिया करना चाहती हूँ जिन्होंने मुझे जरूरी सहयोग दिया।
आगे आप क्या बनना/करना चाहती हैं?
➨यह तो स्पष्ट रूप से निर्धारित नहीं है परंतु इतना तो मैंने ठान ही लिया है कि जो भी करूंगी माता-पिता और समाज के लिए अच्छा करूंगी। जिससे सबका भला हो सके और जिनकी भी हमारे ऊपर अपेक्षाएं हैं, उन अपेक्षाओ को मैं अवश्य ही पूरा करूंगी। लेकिन हृदय के एक छोटे से कोने में यह बात पहले से भी दबी हुई है और वह अब बलिष्ठ हो रही है अर्थात मेरी दिल की ख्वाहिश है कि मैं अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद UPSC की तैयारी करूं और IAS बनकर देश और समाज की सेवा करुं।
अगले वर्ष बोर्ड की परीक्षा में शामिल होने वाले/अपने से जूनियर विद्यार्थियों के लिए क्या संदेश देना चाहते हैं?➨ मैं अपने जूनियर विद्यार्थियों से यही कहना चाहती हूँ जो मेरे शिक्षक ने मुझसे कही थी कि अंक पर ध्यान मत दो केवल परिश्रम करो। अपने आप पर और अपने मेहनत पर विश्वास रखो, सफलता जरूर मिलेगी।